(क) पं. नेहरु सैन्य गुटों से इसलिए दूरी बनाना चाहते थे क्योंकि किसी सैन्य गुट में शामिल होकर एक देश स्वतंत्र नीति का निर्माण नहीं कर पाता | इसके साथ- साथ सैन्य गुट युद्दों को भी बढ़ावा देते हैं |(ख) भारत- सोवियत मैत्री की सन्धि से गुट- निरपेक्षता का सिद्दांतों का उलंघन नहीं हुआ, क्योंकि इस सन्धि के पश्चात भी भारत गुट- निरपेक्षता के मौलिक सिद्धांतो पर कायम रहा तथा जब सोवियत संघ की सेनाएं अफगानिस्तान में पहुंची, तो भारतने उसकी आलोचना की |(ग) यदि विश्व में सैन्य- गुट नहीं होते तो भी गुट- निरपेक्षता की प्रासंगिकता बनी रहती, क्योंकि गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की स्थापना शांति एवं विकास के लिए की गई थी तथा शांति एवं विकास के लिए चलाया गया कोई भी आन्दोलन कभी भी अप्रासंगिक नहीं हो सकता |