जब हिमालय का निर्माण हुआ था, उस वक़्त शिवालिक के दक्षिण में गहरी खाई का निर्माण हो गया था. इन खाई को भरने का काम गंगा और ब्रम्हपुत्र की नदियों के द्वारा बहा कर लाई मिट्टी आदि ने किया. शिवालिक के दक्षिण में स्थित मैदान और उसके समांतर फैली हुई 8-10 कि मी की पट्टी ही भाबर कहलाता है. नदियां जब पहाड़ से नीचे उतरती है तो वो अपने साथ मिट्टी, कंकड़ आदि ले आती है, और मैदानी इलाकों को इसका निक्षेपण कर देती है. इन्ही भारी पदार्थों से भाबर का निर्माण होता है.