शतपथ ब्राह्मण में
→'शतपथ ब्राह्मण' शुक्ल यजुर्वेद की दोनों शाखाओं 'काण्व' व 'माध्यन्दिनी' से सम्बद्ध है। यह सभी ब्राह्मण ग्रन्थों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसका रचयिता याज्ञवल्क्य को माना जाता है। 'शतपथ ब्राह्मण' में वैदिक संस्कृत के सारस्वत मण्डल से पूर्व की ओर प्रसार होने का संकेत मिलता है। इसमें यज्ञों को जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण कृत्य बताया गया है। हल सम्बन्धी अनुष्ठान का विस्तृत वर्णन भी इसमें प्राप्त होता है। अश्वमेध यज्ञ के सन्दर्भ में अनेक प्राचीन सम्राटों का उल्लेख इसमें है, जिसमें जनक, दुष्यन्त और जनमेजय का नाम महत्त्वपूर्ण है।अधिक जानकारी के लिए देखें:-शतपथ ब्राह्मण