व्यक्ति का कल्याण सब के कल्याण में ही निहित है।
→'महात्मा गाँधी' भारत एवं 'भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन' के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वह सादा जीवन, शारीरिक श्रम और संयम के प्रति अत्यधिक आकर्षण महसूस करते थे। वर्ष 1904 में पूँजीवाद के आलोचक जॉन रस्किन की पुस्तक 'ऑनटू दिस लास्ट' पढ़ने के बाद उन्होंने डरबन के पास फ़ीनिक्स में एक फ़ार्म की स्थापना की, जहाँ वह अपने मित्रों के साथ केवल अपने श्रम के बूते पर जी सकते थे। छः वर्ष के बाद गाँधीजी की देखरेख में जोहेन्सबर्ग के पास एक नई बस्ती विकसित हुई। रूसी लेखक के नाम पर इसे 'टॉल्सटाय फ़ार्म' का नाम दिया गया। गाँधीजी टॉल्सटाय के प्रशंसक थे और उनसे पत्र व्यवहार करते थे। अधिक जानकारी के लिए देखें:-महात्मा गांधी