कृपाचार्य
→कृपाचार्य महर्षि शरद्वान गौतम के पुत्र थे। महाभारत के युद्ध में कृपाचार्य कौरवों की ओर से सक्रिय थे। कर्ण के वधोपरांत उन्होंने दुर्योधन को बहुत समझाया कि उसे पांडवों से संधि कर लेनी चाहिए; किंतु दुर्योधन ने अपने किये हुए अन्यायों को याद कर कहा कि न पांडव इन बातों को भूल सकते हैं और न उसे क्षमा कर सकते हैं। युद्ध में मारे जाने के सिवा अब कोई भी चारा उसके लिए शेष नहीं है। अन्यथा उसकी सद्गति भी असंभव है। कौरवों के नष्ट हो जाने पर कृपाचार्य पांडवों के पास आ गए। बाद में इन्होंने परीक्षित को अस्त्र विद्या सिखाई। 'भागवत' के अनुसार सावर्णि मनु के समय कृपाचार्य की गणना सप्तर्षियों में होती थी।अधिक जानकारी के लिए देखें:- कृपाचार्य