मोहनदास करमचन्द गांधी एवं पं जवाहर लाल नेहरु दोनों के बयान राष्ट्र- निर्माण से सम्बंधित हैं, परन्तु प्रकृति में सर्वथा भिन्न हैं | जहां गाँधी जी ने देश के नये शासकों को यह कहकर आगाह किया हैं, कि भारत पर स्वमं शासन करना आसान नहीं होगा, क्योंकि भारत में कई प्रकार की समस्याएं हैं, जिन्हें हल करना होगा, वहीं पं नेहरु के बयान में भविष्य के राष्ट्र की कल्पना की गई है जिसमे उन्होंने वक ऐसे राष्ट्र की कल्पना की है, जो आत्म-निर्भर एवं स्वाभिमानी बनेगा | हम यह पर पं नेहरु के बयान से आधिक तौर पर सहमत हैं, क्योंकि उनके बयान में भविष्य के सम्रद्ध एवं शक्तिशाली राष्ट्र के दर्शन होते हैं |