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ब्रिटेन के महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने कैंब्रिज स्थित अपने घर में 14 मार्च 2018 को आखिरी सांस ली। उनका जन्म 8 जनवरी, 1942 को ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड में हुआ था। हॉकिंग एक सफल वैज्ञानिक हैं जिनकी तुलना अल्बर्ट आइंसटीन से की जाती है। दरअसल, दुनिया को अलविदा कहने से पहले उन्होंने बिग बैंग थ्योरी और ब्लैक होल के रहस्य से भी पर्दा उठाने में मदद की। उनकी किताब 'अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' पांच साल तक रिकॉर्डब्रेकिंग बेस्टसेलर भी रही। मोटोर न्यूरॉन नामक दुर्लभ बीमारी से ग्रसित होने के बाद भी हॉकिंग ने कभी हार नहीं मानी और दुनिया के सामने एक अद्भुत मिसाल कायम की। उनकी इस सफलता के पीछे कुछ अहम बातें रही हैं, तो आइए जानते हैं कि वो कौन-सी बाते हैं।
खुद को ऐसे लोगों के बीच रखा, जो उन्हें प्यार और साथ देते थे
स्टीफन हॉकिंग के माता-पिता दोनों की काफी पढ़े-लिखे थे और इसलिए उन्हें भी समझदार माना जाता था। इस वजह से उनके सहपाठी उन्हें प्यार से आइंसटीन कहकर बुलाते थे। उनका परवरिश और जीवन ऐसे व्यक्तियों के बीच गुजरा, जो उन्हें बहुत प्यार करते थे और साथ देते थे। उनके माता-पिता और दोस्तों के अलावा पहली पत्नी जेन ने भी उनके सपनों में साथ दिया। जिस वजह से शारीरिक अक्षमता और मौत से लड़ने के साथ ही उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दिया।
मुश्किल समय में भी सकारात्मक सोच रखी
लोग हमेशा किसी ना किसी चीज को लेकर शिकायत करते रहते हैं। लेकिन हॉकिंग ने मुश्किल समय में भी सकारात्मक सोच को नहीं छोड़ा। शारीरिक निष्क्रियता के बावजूद और डॉक्टरों के द्वारा कुछ साल जीवन बताने के बाद भी उन्होंने मेहनत करना नहीं छोड़ा और सदी के सबसे सफलतम वैज्ञानिक बने।
मकसद को कभी नहीं छोड़ा
स्टीफन हॉकिंग के पिता चाहते थे कि वे मेडिसिन के क्षेत्र में पढ़ाई करें और उसी में अपना भविष्य बनाएं। क्योंकि उन्हें लगता था कि गणित के क्षेत्र में कम अवसर होते हैं। लेकिन स्टीफन ने इन बातों पर ध्यान नहीं देते हुए अपने मकसद को नहीं छोड़ा। इसके बाद की कहानी हम सब को पता है कि कैसे उन्होंने दुनिया को कई रहस्यों के बारे में जानने में मदद की।