दुनियाभर में पोलियो वैक्सीन का मुकाबला करने के लिए दो पोलियो वैक्सीन का प्रयोग किया जाता है पहला जोनास सॉल्क द्वारा विकसित किया गया और १९५२ ,में उसका पहला परीक्षण किया गया। १९५५, १२अप्रैल को सॉल्क द्वारा दुनिया को इसकी घोषणा की गयी की, यह निष्क्रिय (मरे हुए) पोलियोवायरस की इंजेक्शन की खुराक होते हैं . एक मौखिक टीका अल्बर्ट साबिन द्वारा तनु (कमजोर किये गए) पोलियो वायरस का उपयोग करके विकसित किया गया . साबिन के टिके का मानव परिक्षण १९५७ में शुरू किया गया और इसने १९६२ में लाइसेंस प्राप्त किया। चूँकि साधारणतः असंक्राम्य व्यक्तियों में पोलिओ वायरस की कोई दीर्घकालिक वाहक परिस्थिति नहीं है और, पोलियोवायरस का प्रकृति में कोई गैर रिहायशी भण्डारण नहीं है और पर्यावरण में इस वायरस का एक समय की विस्तारित अवधि के लिए अस्तित्व बनाये रखना मुश्किल है। इसलिए, टीकाकरण के द्वारा वायरस का व्यक्ति से व्यक्ति में संचरण की रोकधाम वैश्विक पोलियो उन्मूलन का एक महत्वपूर्ण कदम है। इन दो टीकों द्वारा दुनिया के सबसे अधिक देशों से पोलियो का उन्मूलन किया गया है और दुनियाभर में पोलियो के मामले, अनुमानित, १९८८ में ३५०,००० से घटकर २००७ में १,६५२ रह गए हैं।