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"समाजवाद परिस्थितियों के अनुसार रंग बदलने वाला गिरगिट का सा धर्म है।" यह किसने कहा है?

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asked in Politics by
सी.ई.एम. जोड
एच.जे. लास्की
सी.एल. वेपर
रैम्जे म्योर

8 Answers

answered by
रैम्जे म्योर
→समाजवाद एक प्रगतिशील और परिवर्तनशील दर्शन तथा कार्यक्रम है। यह बदलते हुए आर्थिक तथा सामाजिक आवश्यकताओं के साथ-साथ अपने स्वरूप में परिवर्तन करता रहता है। समाजवाद के इस परिवर्तनशील स्वरूप को दृष्टि में रखते हुए रैम्जे म्योर ने कहा है कि, "समाजवाद परिस्थितियों के अनुसार रंग बदलने वाला गिरगिट का सा धर्म है।" जयप्रकाश नारायण ने कहा था- 'समाजवादी समाज एक ऐसा वर्ग विहीन समाज होगा, जिसमें सब श्रमजीवी होंगे। इस समाज में वैयक्तिक संपत्ति के हित के लिए मनुष्य के श्रम का शोषण नहीं होगा। इस समाज को सारी संपत्ति सच्चे अर्थों में राष्ट्रीय अथवा सार्वजनिक संपत्ति होगी तथा अनार्जित आय और आय संबंधी भीषण असामनताएं अदैव के लिए समाप्त हो जाएगी। ऐसे समाज में मानव जीवन तथा उसकी प्रगति योजनाबद्ध होगी और सब लोग सबके हित के लिए जीयेंगे।"
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Ramjemure
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रैम्जो म्योर
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Ramjemyor
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म्योर
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J S mil
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रैम्जे म्योर
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remje myor

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