द्रोणाचार्य
→'द्रोणाचार्य' भारद्वाज के पुत्र थे। ये संसार के श्रेष्ठ धनुर्धर थे। द्रोण अपने पिता भारद्वाज मुनि के आश्रम में ही रहते हुये चारों वेद तथा अस्त्र-शस्त्रों के ज्ञान में पारंगत हो गये थे। द्रोण का जन्म उत्तरांचल की राजधानी देहरादून में बताया जाता है। द्रोण के साथ प्रषत् नामक राजा के पुत्र द्रुपद भी शिक्षा प्राप्त करते थे तथा दोनों में प्रगाढ़ मैत्री थी। भारद्वाज मुनि के शरीरान्त होने के बाद द्रोण वहीं रहकर तपस्या करने लगे। वेद-वेदागों में पारंगत तथा तपस्या के धनी द्रोण का यश थोड़े ही समय में चारों ओर फैल गया। शिखंडी ने भी इन्हें अपना गुरु बनाया था।अधिक जानकारी के लिए देखें:-द्रोणाचार्य