कहा जाता है कि सुनार सोने के जेवर बनाने के लिए उसे १०० बार धीरे- धीरे नजाकत से पीटता है तब कहीं जाकर एक जे़वर तैयार होता है। वहीं लोहार एक तगड़ी और जोर से एक ही मार पर लोहे को तोड़ देता है या जिस आकार में चाहे उसी आकार में ला देता है। इन्हीं बातों की महत्ता के कारण यह कहा जाता है “ सौ सुनार की एक लोहार की।”