अकबर ने मनसबदारी प्रथा की शुरुआत 1571 ई. में की थी। यह सेना को संगठित करने की एक ऐसी प्रथा थी जिसमें प्रत्येक मनसबदार अपने पद और पद के अनुसार एक घुड़सवार सैनिक रखता था और मनसब का उपयोग दरबार में अपने पद की श्रेष्ठता और प्रभाव को निर्धारित करने के लिए किया जाता था।